"प्रेम की पराकाष्ठा!"
आजकल लोगों को आकर्षित करने वाली हर बात प्यार मोहोबबत की भांति लगती है, किंतु इसकी भावना उतनी ही पवित्र है जितना की दिल्ली में यमुना जी का जल।
किंतु यदि आपको प्रेम की पराकाष्ठा देखनी है तो हमारे पौराणिक ग्रंथों को उठाकर अध्यन करो, माता सती के प्रेम में मेरे भोले भंडारी अपनी सुध बुध तक विसरा बैठे थे अपने ईश्वरत्व का त्याग करके, और सीता मैया को हरण कर ले जाने वाले दशानन रावण का बद्ध किया ताकि माता जानकी की भांति भारत में कोई भी पर पुरुष किसी स्त्री के प्रति इतना नीच सोच न रखे...
किंतु यदि आपको प्रेम की पराकाष्ठा देखनी है तो हमारे पौराणिक ग्रंथों को उठाकर अध्यन करो, माता सती के प्रेम में मेरे भोले भंडारी अपनी सुध बुध तक विसरा बैठे थे अपने ईश्वरत्व का त्याग करके, और सीता मैया को हरण कर ले जाने वाले दशानन रावण का बद्ध किया ताकि माता जानकी की भांति भारत में कोई भी पर पुरुष किसी स्त्री के प्रति इतना नीच सोच न रखे...