मृत्यु(2).......
ये किस जगह में आ गया जहां कृत्रिम सा है आवरण !
ये मृत्यु के बाद की यात्रा है या जीवन का एक
चरण ! कशमकश भी है, विचारों की, और सोच भी है अब श्रीण ! इन्हीं प्रश्नों से गिरा हूं मैं आज की यह जीवन है या मरण !!
सांसारिक माया से पृथक होकर भी अपने विचारों में लीन हूं!
सबको साथ महसूस करके भी शून्य लोक में विलीन हूं!!
सर्वत्र छाया अंधकार है, फिर भी रोशन सा लग रहा जहान है!
अभद्र सा हुआ कुछ विकार है जो, थमा सा लग रहा ब्रह्मांड है!
कुछ भी अब प्रतीत ना होता, हर क्षमता हो गई अशक्त है!
अतीत का भी कुछ स्मरण ना, हर...
ये मृत्यु के बाद की यात्रा है या जीवन का एक
चरण ! कशमकश भी है, विचारों की, और सोच भी है अब श्रीण ! इन्हीं प्रश्नों से गिरा हूं मैं आज की यह जीवन है या मरण !!
सांसारिक माया से पृथक होकर भी अपने विचारों में लीन हूं!
सबको साथ महसूस करके भी शून्य लोक में विलीन हूं!!
सर्वत्र छाया अंधकार है, फिर भी रोशन सा लग रहा जहान है!
अभद्र सा हुआ कुछ विकार है जो, थमा सा लग रहा ब्रह्मांड है!
कुछ भी अब प्रतीत ना होता, हर क्षमता हो गई अशक्त है!
अतीत का भी कुछ स्मरण ना, हर...