धर्म का चक्र
देख शिशुपाल, सब्र की भी हद होती है,
सौ गलतियां माफ कीं, ये मेरी नीति है।
पर तूने जो किया, अब अंत का वक्त आया,
तेरी हर बात ने धर्म को हिलाया।
कृष्ण, तू भगवान? बस नाम का है राजा,
तेरे सामने झुके, ऐसा नहीं मेरा मिज़ाज।
मेरा जन्म अभिशाप? मुझे फर्क नहीं,
तेरा धर्म भी तो खुदगर्ज़ी का यकीन।
तूने अपमान किया, धर्म का और...
सौ गलतियां माफ कीं, ये मेरी नीति है।
पर तूने जो किया, अब अंत का वक्त आया,
तेरी हर बात ने धर्म को हिलाया।
कृष्ण, तू भगवान? बस नाम का है राजा,
तेरे सामने झुके, ऐसा नहीं मेरा मिज़ाज।
मेरा जन्म अभिशाप? मुझे फर्क नहीं,
तेरा धर्म भी तो खुदगर्ज़ी का यकीन।
तूने अपमान किया, धर्म का और...