...

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होली अपनों संग .........
रंगों को गले लगाकर
द्वेष को भी तनिक भूलाकर,
पकवानों की खूशबु में स्वयं को डूबाकर
साथ में मीठी-मीठी यादें बनाकर,
होली की रंगोली बनाई
प्रयास संग हर्ष की ज्योति जलाई,
अपनों के साथ गुलाल उड़ाई
धरा अंबर ने उत्साह बरसाई,
प्रकृति के इस पर्व को
तनिक फूलों से भी सजाई,
काल ने अपनी गति पर
क्षण भर रोक लगाई,
चन्दा तारें संग भानू ने
हमपर फगुआ की चुनर ऊढ़ाई,
लोगों ने अपने भीतर के
कालकूट को भी संन्यासी बनाई,
इन्द्रधनुष रूपी जीवन से
होली ने हमें मिलाई,
हर वर्ष रंगों के इस उत्सव ने
प्रेम और संस्कृति के संबंध को बढ़ाई।


© Unsung Melody✌️