...

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अब मुझको उड़ जाने दो
पंख दिए हैं ख्वाबों ने
अब मुझको उड़ जाने दो।
उड़ते उड़ते अब मुझको
अंबर को छू जाने दो।
पहुंच कर अंबर के साये में
पख ज़रा फिराने दो।
फहराकर अपने पंखो को
आसमान छू जाने दो।
कुछ अनकही बातो को
ज़ोर ज़ोर दोहराने दो।
दोहराकर उन बातो को
मंद मंद मुस्काने दो।
मुस्काते हुए इन होठों को
खिलखिला कर जरा हसने दो।
हस्ते हुए इन आंखों से
आसुओं को बह जाने दो।
आँखों से बहते पानी को
पैरो से छप छपाने दो।
दिल में बाकी कुछ गमों को
पैरो तले कुचलने दो।
कुचल कर सारे गमों को अपने
फिर से जरा मुस्काने दो।
नई रोशनी की तलाश में
फिर मुझको आगे बढ जाने दो।
पंक दिए हैं ख्वाबों ने
फिर मुझको उड जाने दो।
उड़ते उड़ते अब मुझको
अंबर को छू जाने दो।


© NEETA CHANDRA