...

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प्रेम का पर्याय हो तुम
अधरों पे ठहरी मीठी मुस्कान लिए तुम
मेरे कल्पनाओं की दुनिया में रहने वाले तुम
मेरे मौन को समझने वाले
जैसे मैं काया और परछाई हो तुम

मेरे मन की माला को तुमने,
अपने प्रेम भाव से जीता है
जो मैं थोड़ा इठलाती हूँ,
चंचल हो जाते तुम

अपनी मर्यादा से बहकर,
अविरल हो जाते तुम
कहने को तो बहुत कुछ बातें है
पर न बयां कर पाते हो तुम

सदाचार का तुम दर्पण हो
मेरे प्रेम का पर्याय हो तुम

Usha patel