...

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वो चले गए!
कभी जिनसे मिलने के ख़्वाब देखा करते थे,
अब तो उनसे न मिलना ही बेहतर लगता है।

कभी जिनसे बात होती थी हमेशा,
अब तो उस वक्त को भूलना ही बेहतर लगता है।

तोड़कर दिल, ख़्वाब देके,
वो हमें छोड़ गए।

हम तो आ ही रहे थे उन्हें समझाने,
वो ही अपनी राह मोड़ गए।

समझना-समझाना शायद हमारे बस की बात नहीं,
इंसान जुदा हो जाते हैं, ख़्वाब नहीं!

उनको तो शायद हमसे दूर जाने का बहाना मिल गया,
हम कैसे रोकते उन्हें? जब उन्हें नया ज़माना मिल गया।

उस नए ज़माने में हम कैसे जाए?
उन्होंने तो अकेला वहीं पर रोता छोड़ दिया हमें!


© Srishty Bansal