...

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बस मुझे चुन लेना ..
जो मैं न कह पाऊं कभी
वो तुम खुद ही समझ लेना।

मौसम अभी हक में नहीं,
तुम जरा इसकी सुध लेना।

नहीं मिलती सच्ची मोहब्बत सुना है,
तुम मेरे साथ ये ख़्वाब बुन लेना।

मैं दीवारों पर लगी तस्वीर हूं ख़ामोश सी ,
खामोशी में तुम मेरी आवाज़ सुन लेना।

दवा भी इश्क़,मर्ज भी इश्क़,
सबक इश्क़ का दिल लगा कर पढ़ लेना।

जिम्मेदारी दे रही हूं तुम्हें आज थोड़ी बड़ी,
लाखों की भीड़ में से बस मुझे चुन लेना।


© Geeta Dhulia