...

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उड़ान
पर नहीं है मेरे पर उड़ने का जज़्बा रखती हु
सपनों का दामन थामे, होसलों की उड़ान भरती हु

ना फूलों से रास्ते मिले, ना अपनों के सहारे
खुद पे यकीन कर के हर सफ़र तय करती हु

हिम्मत जो टूटे तो खुद ही रो के हँस लेती हु
फिर से उठ के अपने ख्वाबों की उड़ान भरती हु
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