तुम हमारी हो।।
कुछ हुस्न चुराकर तुमसे
एक नज़्म लिखी है हमने,
शब्दो मे बया करने की,
गुस्ताखी करी है हमने
तुमको मैं बयां कर पाउ,
इतनी मुझमें कला नही,
मैं जिसपर तुम्हे उतार सकूँ,
वो कागज़ आज तक बना नही,
आँखों से बालों तक कि
हर चीज़ कयामत है जाना...
गालो से होंठो तक की भी,
अपनी ही नज़ाकत है जाना...
कितनो का दिल लुटोगी तुम,
कितनो को आशिक बनाओगी,
सब यही जानना चाहते है,
तुम किसके घर को सजाओगी,
हर जाम तुम्हारे नाम पे है,
हर साक़ी तुम्हारा प्याला है,
हर एक शहर की धड़कन तुम,
हर कोई तुम्हारा मतवाला है,
हाथो पर दिल्ली दिल दे दे,
आँखों से यू.पी...
एक नज़्म लिखी है हमने,
शब्दो मे बया करने की,
गुस्ताखी करी है हमने
तुमको मैं बयां कर पाउ,
इतनी मुझमें कला नही,
मैं जिसपर तुम्हे उतार सकूँ,
वो कागज़ आज तक बना नही,
आँखों से बालों तक कि
हर चीज़ कयामत है जाना...
गालो से होंठो तक की भी,
अपनी ही नज़ाकत है जाना...
कितनो का दिल लुटोगी तुम,
कितनो को आशिक बनाओगी,
सब यही जानना चाहते है,
तुम किसके घर को सजाओगी,
हर जाम तुम्हारे नाम पे है,
हर साक़ी तुम्हारा प्याला है,
हर एक शहर की धड़कन तुम,
हर कोई तुम्हारा मतवाला है,
हाथो पर दिल्ली दिल दे दे,
आँखों से यू.पी...