...

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मैं ढूंँढ रहा हूंँ खुद को
मैं ढूंँढ रहा हूंँ खुद को,
मैं ढूंँढ रहा हूंँ खुद को

सावन के मेलों में,
बचकाने खेलों में
उन कच्चे रस्तों में,
उन भारी बस्तों में

पलकों से उतरी ,सांँसों में बिखरी
भीग रही यादों की रुत को,
मैं ढूंँढ रहा हूंँ खुद को

गर्म रेत की आहों...