"जिंदगी के कुछ बिखरे पन्ने"
गुजारिश तो की थी ताउम्र साथ रहने की |
ख्वाहिश तो थी हर जन्म तुम्हारे होने की |
पर तकदीर को भला यह मंजूर कहां |
इस जमाने को भला कुबूल कहां |
क्या फर्क पड़ता तुम मेरे साथ ना हो ,
तुम्हारे होने का एहसास तो है |
क्या फर्क पड़ता तुम मेरे ना हो सके ,...
ख्वाहिश तो थी हर जन्म तुम्हारे होने की |
पर तकदीर को भला यह मंजूर कहां |
इस जमाने को भला कुबूल कहां |
क्या फर्क पड़ता तुम मेरे साथ ना हो ,
तुम्हारे होने का एहसास तो है |
क्या फर्क पड़ता तुम मेरे ना हो सके ,...