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वह बचपन की बाते
मां की गोदी मे सर रखकर सोना
और मां का धीरे-से ल़ोरी गाना,
याद आता है , मुझे वह बचपन की बाते ।
गलियां और चौबारा मैं सहेलियों के साथ
मौज-मस्ती और ठाहके लेना
चुपके से हलवाई की दुकान से मिठाई चुराना ।
याद आता है मुझे,वह बचपन की बाते ।
जब खेलते - खेलते कोई समान का टुटना
फिर उस पर डाट पड़ना ,रूठना
और मां का धीरे से आ के मनाना ,
याद आता है मुझे, वह बचपन की बाते ।
परिवार के साथ समय बिताना
उनके हर कही हुई काहानी
की तरह सुनना
काश
फिर से वापस आये वह
यादे जो बचपन में कही थी बाते।
- Anita yadav
© All Rights Reserved
और मां का धीरे-से ल़ोरी गाना,
याद आता है , मुझे वह बचपन की बाते ।
गलियां और चौबारा मैं सहेलियों के साथ
मौज-मस्ती और ठाहके लेना
चुपके से हलवाई की दुकान से मिठाई चुराना ।
याद आता है मुझे,वह बचपन की बाते ।
जब खेलते - खेलते कोई समान का टुटना
फिर उस पर डाट पड़ना ,रूठना
और मां का धीरे से आ के मनाना ,
याद आता है मुझे, वह बचपन की बाते ।
परिवार के साथ समय बिताना
उनके हर कही हुई काहानी
की तरह सुनना
काश
फिर से वापस आये वह
यादे जो बचपन में कही थी बाते।
- Anita yadav
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