प्रेम की परिभाषा
सच पूछो तो जीवन की अभिलाषा,
छिपाये है स्वयं में प्रेम की परिभाषा।
रहती जहां जीने की चाह है,
होता वहां अवश्य प्रेम का प्रवाह है।
प्रेम वही है जो है मां और उसकी ममता ,
प्रेम है पिता और संतति हित उसकी चिंता।
प्रेम में समाहित है भाई का भाव ,
और प्रेम है बहन...
छिपाये है स्वयं में प्रेम की परिभाषा।
रहती जहां जीने की चाह है,
होता वहां अवश्य प्रेम का प्रवाह है।
प्रेम वही है जो है मां और उसकी ममता ,
प्रेम है पिता और संतति हित उसकी चिंता।
प्रेम में समाहित है भाई का भाव ,
और प्रेम है बहन...