घर घर के...🤜🤛✍️✍️(गजल)
बिगडे हुए हैं हालात घर घर के
अब करते नहीं हैं बात घर घर के
कहने को तो घर है पर घर कैसा
लोग बैठते नहीं है साथ घर घर के
कोई किसी से खुश नहीं साहब
बदल गये हैं जज्बात...
अब करते नहीं हैं बात घर घर के
कहने को तो घर है पर घर कैसा
लोग बैठते नहीं है साथ घर घर के
कोई किसी से खुश नहीं साहब
बदल गये हैं जज्बात...