...

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वो मुस्कुराएगा
कोरोना के कहर से
कैसा हो रहा होगा गुजर
जल रहे होंगे चूल्हे,या
आस देखते थक जाती होगी नजर,
डगर- डगर, भटक -भटक
कर आ रहे है,गाँव ,
लिपट रही ममता छाँव में
छाले से भर गए है पाँव ।
कुंद दिखती नजर से जो
आय आँसू पोछने
हाल न पूछा! लेकिन
भीड़ गए अपनी रोटी सेकने,