जाने दो
#जाने-दो..!
जाने दो जो चला गया,
मृगछालों से जो ठगा गया।
बेवक्त जो वक्ता बना गया,
शायद अपनो से ठगा गया।
अपनी पहचान बनाने को,
वो दिन रात परिश्रम कर रहा।
जाने दो जो चला गया,
शायद वो आगे मिले खड़ा,
अपने पर विश्वास करो
जो मिला है उसे स्वीकार करो
अडिग रह,आगे बढ़,मंजिल पर चल
मिलेगा फल मिलेगा फल।।
जाने दो जो चला गया,
मृगछालों से जो ठगा गया।
बेवक्त जो वक्ता बना गया,
शायद अपनो से ठगा गया।
अपनी पहचान बनाने को,
वो दिन रात परिश्रम कर रहा।
जाने दो जो चला गया,
शायद वो आगे मिले खड़ा,
अपने पर विश्वास करो
जो मिला है उसे स्वीकार करो
अडिग रह,आगे बढ़,मंजिल पर चल
मिलेगा फल मिलेगा फल।।