"बचपन"
ऐ बचपन बिताए हुए तेरे संग हर लम्हें खुशनुमा से लगते हैं।
शायद इसीलिए उन्हें याद कर कभी हम हंसते तो कभी रो देते हैं।
ऐ बचपन क्या सुनाऊं तुम्हें अब हाल-ए-जिन्दगी;
बस इतना ही कहूंगी कि तुम्हारे जाने के बाद से बेहाल हो गयी है जिन्दगी।
यह तूफान एक्सप्रेस की तरह यूं दौड़ रही है जिन्दगी
कि रूक कर खुद से खुद...
शायद इसीलिए उन्हें याद कर कभी हम हंसते तो कभी रो देते हैं।
ऐ बचपन क्या सुनाऊं तुम्हें अब हाल-ए-जिन्दगी;
बस इतना ही कहूंगी कि तुम्हारे जाने के बाद से बेहाल हो गयी है जिन्दगी।
यह तूफान एक्सप्रेस की तरह यूं दौड़ रही है जिन्दगी
कि रूक कर खुद से खुद...