वास्तविकता
यह रिश्ते नाते इस माटी की देह के संग आए है और इसी के संग चले जाएंगे ।
वक्त कराता है अपनों की पहचान ,जो आंसू बहा दे ,
मृत शरीर पर वह अपने नहीं गैर कहलाते हैं ,
अपने तो वह है जो हमारे जाने के बाद हमें दिल में संजोए रखते हैं।
आशु भले ही ना निकले हो आंख से, क्योंकि जब वो लड़ रहे होते हैं भगवान से ।
दुआ मांगते हैं वह की आत्मा को मिले शांति वह अपने नहीं गैर कहलाते हैं ।
अपने तो वह है जो दिल से लफ्ज़ निकाल ही नहीं पाते।
By muskan savita
© All Rights Reserved
वक्त कराता है अपनों की पहचान ,जो आंसू बहा दे ,
मृत शरीर पर वह अपने नहीं गैर कहलाते हैं ,
अपने तो वह है जो हमारे जाने के बाद हमें दिल में संजोए रखते हैं।
आशु भले ही ना निकले हो आंख से, क्योंकि जब वो लड़ रहे होते हैं भगवान से ।
दुआ मांगते हैं वह की आत्मा को मिले शांति वह अपने नहीं गैर कहलाते हैं ।
अपने तो वह है जो दिल से लफ्ज़ निकाल ही नहीं पाते।
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