rapist society
बलात्कारी समाज
ना जाने वो कैसी काली रात थी
सुन शाम पडा वो जगं सारा था
अँधेरे चलती वो नन्ही सी जान थी
अधेरे में लूट वो आबरू गए उसकी
खुदा की नजरो में आज भी वो पाक थी
ना जाने ये कैसा खोखला समाज बनाया
गई आबरू उसकी ना जाने क्यो उसका
मजाक बनाया ना कर तु कुछ ऐसा
जाना तुझे ईश्वर के पास है
पाक वो ओर उसकी हर इबादत है
पुछा मैने उस खुदा से है
क्यो ऐसा इनसान बनाया
छीनी मेरी जिंदगी की चमक उसने
उसी को तुने क्यो बेमिसाल बनाया
बोल उठा खुदा मेरा ना हो तु उदास इतनी
तुझे मेंने काली का रूप बनाया
©Chandni
ना जाने वो कैसी काली रात थी
सुन शाम पडा वो जगं सारा था
अँधेरे चलती वो नन्ही सी जान थी
अधेरे में लूट वो आबरू गए उसकी
खुदा की नजरो में आज भी वो पाक थी
ना जाने ये कैसा खोखला समाज बनाया
गई आबरू उसकी ना जाने क्यो उसका
मजाक बनाया ना कर तु कुछ ऐसा
जाना तुझे ईश्वर के पास है
पाक वो ओर उसकी हर इबादत है
पुछा मैने उस खुदा से है
क्यो ऐसा इनसान बनाया
छीनी मेरी जिंदगी की चमक उसने
उसी को तुने क्यो बेमिसाल बनाया
बोल उठा खुदा मेरा ना हो तु उदास इतनी
तुझे मेंने काली का रूप बनाया
©Chandni