अस्त-व्यस्त त्रस्त-पस्त
#शहरजीवनकाव्य
अस्त-व्यस्त,त्रस्त-पस्त
जीवन है ये शहर का
संघर्ष करता मानव
इस जगह में जो बसेरा करता।
उठता सुबह वह बेचैन सा
नित्य प्रति वो हैरान सा
मुंह में निवाला भी वो डालता
पानी के साथ गटकता सा।
...
अस्त-व्यस्त,त्रस्त-पस्त
जीवन है ये शहर का
संघर्ष करता मानव
इस जगह में जो बसेरा करता।
उठता सुबह वह बेचैन सा
नित्य प्रति वो हैरान सा
मुंह में निवाला भी वो डालता
पानी के साथ गटकता सा।
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