...

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तौकीर
मेरे लफ़्जो की तहरीर है
तेरे इश्क की ये तासीर है !

लिख रहा हुँ दर्द-ए-मुहब्बत
और मिल रही तौकीर है !

ढह चुका हुँ मै खंडहर सा
और बाकी यादो की तामीर है !

कैद हो गये कफ़समे जुदाईके
कैसी ये हमारी तकदीर है !

कैसे बयाँ करे हम जज़्बात जब
जुबाँ पर कसमों की जंजीर है !
© संदीप देशमुख