तौकीर
मेरे लफ़्जो की तहरीर है
तेरे इश्क की ये तासीर है !
लिख रहा हुँ दर्द-ए-मुहब्बत
और मिल रही तौकीर है !
ढह चुका हुँ मै खंडहर सा
और बाकी यादो की तामीर है !
कैद हो गये कफ़समे जुदाईके
कैसी ये हमारी तकदीर है !
कैसे बयाँ करे हम जज़्बात जब
जुबाँ पर कसमों की जंजीर है !
© संदीप देशमुख
तेरे इश्क की ये तासीर है !
लिख रहा हुँ दर्द-ए-मुहब्बत
और मिल रही तौकीर है !
ढह चुका हुँ मै खंडहर सा
और बाकी यादो की तामीर है !
कैद हो गये कफ़समे जुदाईके
कैसी ये हमारी तकदीर है !
कैसे बयाँ करे हम जज़्बात जब
जुबाँ पर कसमों की जंजीर है !
© संदीप देशमुख