...

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" ज़िन्दगी और मौत में फर्क "
ज़िन्दगी से मौत मेहरबान निकली दोस्तों,
ज़िन्दगी ने तिल-तिल मारा मौत ने एक झटके में।

ज़िन्दगी भर, ज़िन्दगी से लड़ते रहे ,
रोज हम पैदा हुए,रोज हम मरते रहे।

फुटपाथ से ही की शुरू,फुटपाथ पर ही ख़त्म की,
झोपड़ी में हम रहे और महल गढ़ते रहे।

न कोई बंगला,न...