...

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तेरे खयाल
आज छुआ है
मेरे जिस्म को
शीतल सी बयारों ने...............

कपकपी से थरथराया मेरा जिस्म
जब छुआ मुझे
तेरे खयालों ने..............

वो चांद मुस्कुरा रहा मुझ पर
मेरे खयालों की लाली
मेरे चेहरे पे देख कर..............

और मैं शर्म की चादर ओढ़े
खुद में ही सिमटी
मुस्कुरा रही ऐसे,
जैसे तुमने भरा हो मुझे
अपनी बाहों में................

© अपेक्षा