कैसी है यह दुनियादारी
कैसी है यह दुनियादारी।
कैसी है यह गम ख्वारी।
कैसा कैसा स्वांग रचाया,
कैसी है यह समझदारी।
आँख मूँद कर चलने में,
कैसी है अब होशियारी।
अपनों को ही भूल गया है।
कितनी घृणित ये लाचारी।
प्रेम प्यार सब...
कैसी है यह गम ख्वारी।
कैसा कैसा स्वांग रचाया,
कैसी है यह समझदारी।
आँख मूँद कर चलने में,
कैसी है अब होशियारी।
अपनों को ही भूल गया है।
कितनी घृणित ये लाचारी।
प्रेम प्यार सब...