इक पाक मोहब्बत थी
इक पाक मोहब्बत थी
और साफ इरादे थे
कुछ कसमें थी खाई
और पक्के वादे थे
खेल समझ आया जब
उसने आखिरी चाल चली
उसकी शतरंज के हम
महज़ एक प्यादे थे
हम छल ना समझ पाए
और मुंह की खा बैठे
पर हम भी क्या करते
हम सीधे सादे थे
वो दीमक से निकले
जिन्हें दिल में बसाया था
हम लकड़ी लकड़ी थे
अब रह गए बुरादे थे
एक पाक मोहब्बत थी
और साफ इरादे थे
कुछ कसमें थी खाई
और पक्के वादे थे
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और साफ इरादे थे
कुछ कसमें थी खाई
और पक्के वादे थे
खेल समझ आया जब
उसने आखिरी चाल चली
उसकी शतरंज के हम
महज़ एक प्यादे थे
हम छल ना समझ पाए
और मुंह की खा बैठे
पर हम भी क्या करते
हम सीधे सादे थे
वो दीमक से निकले
जिन्हें दिल में बसाया था
हम लकड़ी लकड़ी थे
अब रह गए बुरादे थे
एक पाक मोहब्बत थी
और साफ इरादे थे
कुछ कसमें थी खाई
और पक्के वादे थे
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