...

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मेरे किस्से में शामिल हैं वों..

मेरे बया होने कीं
गुंजाईश देखकर
समझ जाता था हालं वों,
मेरी पेशानी देखकर

यूं तो आता हैं मजा उसको
मेरी दिक्कते बढाने में
खुद हीं सुलझां देता था कभी
मेरी उलझने देखकर

कोई सनक हो जैसे,
मुझे मुझमें नही ठहरने देती ...