...

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खुद की किस्मत
उठने लगे है सवाल काबू में नही मन
जोड़ा था रिश्ता स्वार्थ से छूटा है हर दामन
बंधने लगी जंजीर है फुरसत में पड़ा हूं
जीवन के उलझे मोड़ पर अकेला खड़ा हूं
सीखा न कभी स्वार्थ में बहने का सलीका
संबंध के लिए मैं खुद अपनो से लड़ा हूं
उम्मीद वो बिखर गई थी जीने का ज़रिया
इंसान के उस दर्द को...