...

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ग़ज़ल : ज़िंदगी का ज़हर पीने तो दो
ज़िंदगी का ज़हर पीने तो दो
अब न मुझे रोको जीने तो दो
छलनी है दामन लहू में भीगा
उम्र के धागों से सिलने तो दो
तुमने न बोला न ही ईमा किया
जो न कहा मैंने वो कहने तो दो
कल...