तुम मैं में कौन है ज्यादा प्रसन्न
तुम नहीं हो यहाँ पर मैं हूँ
इस प्राकृतिक जगत के सौंदर्य में
समाज के नीति नियमों से स्वतंत्र
जहाँ चिड़ियों की चहचहाहट है
नीले अंबर की गुनगुनाहट है
वर्षा के रिम झिम फौवारें हैं
सर्द हवाओं की सौगाते हैं
यहाँ जाति नहीं और न ही धर्म
यहाँ नस्ल नहीं और न ही कर्म
बस एक अनुभूति सी है यहाँ
जो इस जगत से मुझको जोड़े है
उसे...
इस प्राकृतिक जगत के सौंदर्य में
समाज के नीति नियमों से स्वतंत्र
जहाँ चिड़ियों की चहचहाहट है
नीले अंबर की गुनगुनाहट है
वर्षा के रिम झिम फौवारें हैं
सर्द हवाओं की सौगाते हैं
यहाँ जाति नहीं और न ही धर्म
यहाँ नस्ल नहीं और न ही कर्म
बस एक अनुभूति सी है यहाँ
जो इस जगत से मुझको जोड़े है
उसे...