छायाओंकीकथाएँ
#छायाओंकीकथाएँ
एक दिन एक भूमि में आके ,
मंजर वहां का देख के,
सहमा ये दिल आंखे सहम गई,
आलम वहां का देख के।
था हवा का रुख अलग ,
था अलग कुछ आसिया,
कह रही थी धूल भी,
था मै भी धरा का फूल सा,
हर कदम कुछ कह रही थी,
दिखा रही थी जुनून को ,...
एक दिन एक भूमि में आके ,
मंजर वहां का देख के,
सहमा ये दिल आंखे सहम गई,
आलम वहां का देख के।
था हवा का रुख अलग ,
था अलग कुछ आसिया,
कह रही थी धूल भी,
था मै भी धरा का फूल सा,
हर कदम कुछ कह रही थी,
दिखा रही थी जुनून को ,...