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छायाओंकीकथाएँ
#छायाओंकीकथाएँ
एक दिन एक भूमि में आके ,
मंजर वहां का देख के,
सहमा ये दिल आंखे सहम गई,
आलम वहां का देख के।
था हवा का रुख अलग ,
था अलग कुछ आसिया,
कह रही थी धूल भी,
था मै भी धरा का फूल सा,
हर कदम कुछ कह रही थी,
दिखा रही थी जुनून को ,
महसूस कर लो तुम भी आ के,
आजादी के सुकून को,
कर दिया मैला भी तुमने
देश भक्तों के उस खून को।
ये हवाएं ये घटाएं ,
सेनानियों की शान हैं,
कर के बुलंद परचम हमारा,
ये धरा भी आन है।
वो खून के धारा अभी भी,
इस धारा में लीन है,
ये दिल हमारा आज भी,
उस दर्द से विहीन है।
आओ मिलकर आज सब ,
सेहनानियो की जयकार करे,
देश को माता समझ ,
बलिदान का सतकार करे।
-. Priyanka...
एक दिन एक भूमि में आके ,
मंजर वहां का देख के,
सहमा ये दिल आंखे सहम गई,
आलम वहां का देख के।
था हवा का रुख अलग ,
था अलग कुछ आसिया,
कह रही थी धूल भी,
था मै भी धरा का फूल सा,
हर कदम कुछ कह रही थी,
दिखा रही थी जुनून को ,
महसूस कर लो तुम भी आ के,
आजादी के सुकून को,
कर दिया मैला भी तुमने
देश भक्तों के उस खून को।
ये हवाएं ये घटाएं ,
सेनानियों की शान हैं,
कर के बुलंद परचम हमारा,
ये धरा भी आन है।
वो खून के धारा अभी भी,
इस धारा में लीन है,
ये दिल हमारा आज भी,
उस दर्द से विहीन है।
आओ मिलकर आज सब ,
सेहनानियो की जयकार करे,
देश को माता समझ ,
बलिदान का सतकार करे।
-. Priyanka...
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