शिकवे शिकायते सब छूट गए
अफ़सोस के आंसुओ ने आगाज़ फ़रमाया,
इन पलकों को बीते हर पल का एहसास कराया,
मौका-ए-गुफ्तगू जब नकारा था चंद शिक्वो की खातिर,
तब बीते लम्हों को भी आंखो का आशियां रास न आया,
आंसुओ का नकाब ओढ़ आंखों से छलक गिरे,
कितनी बड़ी खता की थी, इश्क़ नाराज़ हुआ, ये याद दिलाया,
सारा दिन...
इन पलकों को बीते हर पल का एहसास कराया,
मौका-ए-गुफ्तगू जब नकारा था चंद शिक्वो की खातिर,
तब बीते लम्हों को भी आंखो का आशियां रास न आया,
आंसुओ का नकाब ओढ़ आंखों से छलक गिरे,
कितनी बड़ी खता की थी, इश्क़ नाराज़ हुआ, ये याद दिलाया,
सारा दिन...