भूली हुई दास्तान
#वक्तकिरेत
आंखे नम हैं
बहुत गहरा संबंध जो था
अब धीरे धीरे नस्त सा हो रहा है
कहने के लिए सब सही है
पर जान सच्चाई मौन हो
आह निकल रही है मन से
पर खुश हो कि
जो हो रहा है
उसको अच्छा लग रहा है
मेरी ज़िंदगी का हिस्सा
सिमट गई
अब नम आंखे भी
तेरी और जब भी देखे
खुश हो जाती है
तेरे ज़िंदगी के
कुछ पन्नों पे अपना नाम...
आंखे नम हैं
बहुत गहरा संबंध जो था
अब धीरे धीरे नस्त सा हो रहा है
कहने के लिए सब सही है
पर जान सच्चाई मौन हो
आह निकल रही है मन से
पर खुश हो कि
जो हो रहा है
उसको अच्छा लग रहा है
मेरी ज़िंदगी का हिस्सा
सिमट गई
अब नम आंखे भी
तेरी और जब भी देखे
खुश हो जाती है
तेरे ज़िंदगी के
कुछ पन्नों पे अपना नाम...