...

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प्रभु भजन
निखार जाएगा समझोता कर ले
बिखर जाएगा. जिद्द न कर
शीशा कहा टिकटा गिर कर
मन को ना भटका, कर ले हरि भजन
बिखर जाएगा बद्दुआ लेकर
निखार न सके फिर दुआ की कल्पना करके
छोड़ कर सब उसके भरोसे
निष्काम को त्याग कर ले हरि को ध्यान
बिखरे हुए को सवारता वही है
कुंड को निखारता वही है
चिंताओ की अग्नि में ना जल
खोखली दुनिया की रीत बिखरी
कोई ना अपना तुम्हारा यहाँ
सब है यहाँ माया के वश में
याद कर उसे वो तुझे रखेगा याद
खड़ा होकर रो ले उसके सामने वो तुझे ना रोने देगा किसी और के सामने
सुरभि त्रिपाठी