खामोशी....
खामोश कर लिया अब मेने मेरी जुबां को
जानता हूँ कोई वजूद नहीं मेरे शब्दों का...
कहने को तो लाख बातें है मेरे सीने में छुपी
पर आख़िर सुकून से कोई सुनने वाला तो हो...
कहने को तो बहोत है अपने मेरी जिंदगी में
पर कोई दिल से अपना चाहनेवाला तो हो...
बेजुबान हो गई है अब मेरी ज़िंदगी भी उन अल्फाज़ो की तरह
जहाँ शोर तो बहोत है, पर ख़ामोशी से कोई सुननेवाला नहीं...!!!
जानता हूँ कोई वजूद नहीं मेरे शब्दों का...
कहने को तो लाख बातें है मेरे सीने में छुपी
पर आख़िर सुकून से कोई सुनने वाला तो हो...
कहने को तो बहोत है अपने मेरी जिंदगी में
पर कोई दिल से अपना चाहनेवाला तो हो...
बेजुबान हो गई है अब मेरी ज़िंदगी भी उन अल्फाज़ो की तरह
जहाँ शोर तो बहोत है, पर ख़ामोशी से कोई सुननेवाला नहीं...!!!