...

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Ghazal
कुछ वुस'अतें मिलीं मुझे रंज-ओ-मेहन के बा'द
आकर गिरे वो बाहों में हलकी छुवन के बा'द

सर-कश मिरी ये आशिक़ी ले आई है कहाँ
बे-मौत मर चुका हुं मैं बे-हद घुटन के बा'द

गुमराह हो गया थ किसी बद-गुमानी में
जन्नत तलाशता रहा तक़्वा-शिकन के बा'द

फैला रहा थ शर सर-ए-बाज़ार शहर में
मसनद-नशीं बना है वो इतने फ़ितन के बा'द

लेकर क़लम की रैशनी उस...