...

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दर्द तेरा मेरा


बेनाम सा यह दर्द तेरा मेरा ठहर क्यों नही जाता;
जो बीत गया है वो गुज़र क्यों नही जाता;

सब कुछ तो है क्या ढूँढती रहती हैं ये आंखे मेरी ;
क्या बात है मैं वक्त पे घर क्यूं नही जाता;

वो एक ही चेहरा तो नही सारे जहाँ...