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केसरिया सरकार
वृंदावन में होरी खेले केसरिया सरकार,
कहीं उड़े गुलाल लाल, कहीं पिचकारी की धार।

झूल रही है हौले-हौले, हर कदंब की डारी,
मस्ती में उन्मुक्त लहराए, उपवन की क्यारी-क्यारी।
कहीं लहराए धानी चूनर, कहीं लाल कचनार,
वृंदावन में होरी खेले केसरिया सरकार।

बहक रहे हैं भौंरे इत-उत, महक रही फुलवारी,
गलियन में बड़ी धूम मची, चहुं सोहे श्याम विहारी।
झूम रहे हैं ग्वाल सखा, कहीं थिरक रही वृज नारि,
वृंदावन में होरी खेले केसरिया सरकार।

यमुनाजी के जल पर देखो, कैसे शोभ रहे नटराज,
दर्शन लालसा लिए पधारे, सुर, नर, मुनि, श्री महिपाल।
नृत्य करत मोरे कृष्ण कन्हैया, सुख पावत संसार,
वृंदावन में होरी खेले केसरिया सरकार।

© मृत्युंजय तारकेश्वर दूबे।

© Mreetyunjay Tarakeshwar Dubey