...

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तुम्हारी यादें
आग जो लगी है दिल में उसे बुझा देते तो अच्छा होता,
यादें और तुम जगाते हो जो तिश्नगी वो मिटा देते तो अच्छा होता।

हर वक्त मेरी आँखों में उभरता है तेरा ही अक्स,
मेरे दिल में बसी है जो तेरी तस्वीर उसे हटा देते तो अच्छा होता।

लाइलाज सा ये कैसा मर्ज़ लगा दिया है तूने दिल को,
इस मर्ज़ की कोई दवा भी बता देते तो अच्छा होता।

दिल के दयार में मुरझा गए हैं ख़्वाहिशों के फ़ूल सारे,
इन खारों में भी मोहब्बत के फ़ूल खिला देते तो अच्छा होता।

क़ैद होकर रह गई है ज़िंदगी तेरी यादों के हिसार में,
मेरी रूह को इस क़ैद से कर रिहा देते तो अच्छा होता।

दिल की लगी ना बुझे, देती है ये सदाएं तेरे प्यार की,
अपने प्यार की बरसात से ये आग बुझा देते तो अच्छा होता।

ज़िंदगी की धूप में जलते हुए काटी है तन्हा उम्र सारी,
बनकर शजर अपने प्रेम का जो साया दे देते तो अच्छा होता।