रिश्ते मजबूरी के
#मजबूरी
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
रिश्तों पे जिधर देखो चल रही छुरी है
अपनों से ही बनाई अब सबने...
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
रिश्तों पे जिधर देखो चल रही छुरी है
अपनों से ही बनाई अब सबने...