...

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सफ़र तुम बिन
तन्हाइयों से भरा हर लम्हा ग़ुजरता है
दर्द कों पसंद मैं वो यही पर ठहरता है

कैसे गुजरतें है दिन आती है कैसे शब
कितना जानेमन मुझ पे कहर बरसता है

सोचा ना...