...

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मैंने खुद को बदल लिया है?
मेरे अंदर के शोर ने मुझे चुप कर दिया है,,,
अब जिसे जो समझना है समझता रहे,,,
मैंने अपनी सफाई में बोलना छोड़ दिया है।।।।
लाड,प्यार और अपने लोग मेरे हिस्से में नहीं,,,
मैंने तन्हाई के साथ अंधेरे में रहना सीख लिया है।।।।
घर वालों ने मुझे मेरे बाहर वालो के नाम पर छोड़ दिया,,,
और बाहर वालों के लिए मैं कहां,,, उनकी दुनिया बहुत बड़ी है,,,
इसलिए मैने इल्ज़ामों के खेल में सही गलत सब खुद को समझ लिया है।।।।
अपनो ने ही नज़रंदाज़ और गैरों जैसा बर्ताव करके,,,
जो थोड़ा सा ज़िंदा था मुझमें उसे भी मार दिया है ।।।।
न घर है न घरवाले ,, न किसी का प्यार ,न पहली जैसी मैं और न मुझे अपनाने वाले,,,
ज़रूरत तो अब भी हैं सहारे की पर मैंने अपनी ज़रूरत को भी बताना छोड़ दिया है।।।
मेरी नाकामी का किस्सा मेरे हाथों की लकीरों में लिखा है,,,
मेरी हार की गवाह सबकी नफ़रत ने मुझे ही बना दिया है।।।
© vandana singh