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मेरा हमसफ़र मैं खुद हूँ।...
मेरा हमसफ़र मैं खुद था,
मेरा हमसफ़र मैं खुद हूँ।...

कभी बिखरा पतझड़ सा,
कभी महकता गुलाब सा सुकूँ हूँ।...

कभी ढलता कजरे सा,
कभी महकते इत्र की बदरा हूँ।...

मैं खुद में मुक्कमल था,
खुदा सा मुक़म्मल मैं हूँ।...

पिघकता मैं बरफ़ सा,
भावनाओं का समंदर मैं अथः हूँ।...

ढलती चिमनी की चंचल लौ सा,
खादान का कोई गूढ़ हीरा हूँ।...

मेरा हमसफ़र मैं खुद था,
मेरा हमसफर मैं खुद हूँ।...

मनीषा राजलवाल
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© maniemo