सुकून
सुकून की तलाश
में ना जाने कहाँ से कहाँ आ गए हम
भटके हुये मुसाफ़िर थे पहले हम
जब से तुम हो मिले मंजिल मिल गयी हमें
बेवजह मुस्कुराने की वजह बन गए हो तुम
जाना कैसे कहुँ कितने खास हो मेरे लिये तुम
नसों में दौड़ती लहू सा...
में ना जाने कहाँ से कहाँ आ गए हम
भटके हुये मुसाफ़िर थे पहले हम
जब से तुम हो मिले मंजिल मिल गयी हमें
बेवजह मुस्कुराने की वजह बन गए हो तुम
जाना कैसे कहुँ कितने खास हो मेरे लिये तुम
नसों में दौड़ती लहू सा...