...

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जीना
जाने कहा खो गये हम
जाने केसे खो गये हम
कोई नहीं था पुछनेको
केसे हो कहा हो

अरे लालत हे येसी जीन्दगी से
जो अपने होकर पराये हो गये
जीसे कभी जानते तक नहीं थे
आज आदत बनगये

अरे कई बार समजाया खुदको
जरा दुरी बनालो पर ये कबखत दील
सुने तो रोकु खुदको
अभी तक तो दोड रहे अकेले
पर अब चला तक नहीं जा रहा
केसी तेरी आदत लग गरी
सोचना तो दुर जीना मुश्किल बन गया
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