पेम दीपक
काश तुम एकबारी फिर लौट आते फिर वो प्यार वाले बोल कह जाते जी जाता मैं फिर से एक दफा जो मरहम लगाने तुम मुझे चले आते
दुनिया की नज़रों से छुपते छुपाते कोई गलत पता लोगों को बताके सुलाते बांहों में मुझे कुछ पलों को काश तुम एकबार फिर लौट आते
करते मुझे गुस्सा फिर से रुलाते फिर से वो अपनी बातें दोहराते झूठा ही सही मगर प्यार दे जाते काश तुम एकबार फिर लौट आते
धीरे से आते फिर मुझको चौंकाते फिर नाजुक...
दुनिया की नज़रों से छुपते छुपाते कोई गलत पता लोगों को बताके सुलाते बांहों में मुझे कुछ पलों को काश तुम एकबार फिर लौट आते
करते मुझे गुस्सा फिर से रुलाते फिर से वो अपनी बातें दोहराते झूठा ही सही मगर प्यार दे जाते काश तुम एकबार फिर लौट आते
धीरे से आते फिर मुझको चौंकाते फिर नाजुक...