...

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Radhe-Krishna
कान्हा तेरी महिमा अजब निराली
जग को बतलाने कि खातिर सच्चे प्रेम का अर्थ
तूने अपनी ही प्रेम कहानी अधूरी कर डाली

दिखा दिया सबको प्रेम दिल मे बस रूह मे उतर जाता है दूर हो या पास कभी नहीं खत्म हो पता है
पाने कि ख्वाहिश कोई सच्ची प्रीत नहीं है
कर्तव्यों का पालन कर रस्मो कसमो को निभाना पर इक छण भी ना प्रेम से विश्वास हटाना जग कि रीत यही है

राधा सँग प्रेम कर रुख्मणि को जीवनसंगिनी बना अपना फ़र्ज़ निभाया
सभी बंधनो से परे रूह मे बसे राधा के प्रेम को अमर बनाया

कहा राधे बिन कृष्णा अधूरे
ना मिल कर भी है होंगे पुरे
मुक़म्मल ये प्रेम कि दस्ता है
इसलिए राधे-कृष्णा इक प्रेम कि परिभाषा है

कण-कण मे हम है जहाँ प्रेम का वास है
हासिल नहीं क़ुरबानी ही असल मे प्रेम दूजा नाम है
समझे जो प्रेम को तो हर जगह मिलते उसको राधे- कृष्णा साक्षात है....

_राधे-कृष्णा_
_कल्पना@कल्पू_