...

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बस प्यार और सम्मान की मांग.....
आपने कई बार खुद देखा या सुना होगा कि लोग
महिलाओं पर हाथ उठाते है,चाहे उनकी पत्नी हो या
कोई और।इसी विषय में ये मेरी कविता है....

NOTE:-ये feminist poem नहीं है, जो लोग इसे अपनी ताकत समझते है और महिलाओं का सम्मान नहीं करते है उनके लिए है।इस कविता का उद्देश्य किसी के मन को ठेस पहुंचाना नहीं है।


अगर वो चिल्लाएं झटकारे,
तुम पर अपना सारा गुस्सा उतारे,
तो तुम बस चुप रहो।
जब उसे गुस्सा आए,
तुम्हे थप्पड़-थप्पड़ मारे,
तब भी तुम सहन करो।
जवाब नहीं देना कभी
क्योंकि तुम स्त्री हो और
वो पुरुष है।
पुरुष प्रधान है सोच सबकी,
बस...