...

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आज की स्त्री
सकुचा के नही हंसती
खिल खिला कर हंसती हूं

मिलती हूं अपने पराए सब से
दोस्ती भी सबसे करती हूं

मानती हूं सही नियमों को
कुछ रूढ़ियां तोड़ के चलती हूं

बड़ों का मान रखती हूं
मगर मन मसोस कर नही...