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योग्यता के अनुरूप वजूद
हम स्वयं को कम आंकतेहैं,
इसलिए पीछे रह जाते हैं,
अपनी योग्यता के अनुरूप,
अपना *वजूद* नहीं ‌बना पाते हैं....

जैसा सोचोगे, वैसे ही बन जाओगे,
जितना प्रयास करोगे, उतना ही फल पाओगे,
जितने भी सक्षम लोग यहां, सबकी एक कहानी है,
स्वयं को कम आंक,उन्होंने, हार कभी ना मानी है,
अपनी शक्ति अपने भीतर है,जो स्वयं जगानी पड़ती है,
जीवन में आगे बढ़ने की एक लौ जलानी पड़ती है,

हम स्वयं को कम आंकतेहैं,
इसलिए पीछे रह जाते हैं,
अपनी योग्यता के अनुरूप,
अपना *वजूद* नहीं ‌बना पाते हैं….,

औरों को जिम्मेदार ठहराते, अपने पीछे रह...